Comments (3)
7 Apr 2021 08:01 PM
सबके साथ रहकर भी मैं तन्हा हूं ,
मैं अपने आप का साया हूं ,
मुझे अज़ीज़ है हासिल से बढ़के लाहासिल ,
सराब -ए -आप में खोया हूं ,
सफर -ए – इश्क में मुझसे जो अजनबी ठहरी ,
मैं वो खुशी की तमन्ना हूं ,
सहर उम्मीद की लगता हूं , पर यकीं जानो ,
अजाब-ए-शामे तमन्ना हूं ,
श़ुक्रिया !
20 Mar 2022 10:04 PM
बहुत सुंदर
बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी