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अभी हाल में कोरोना के मरीजों के चिकित्सा के नाम से लाखों रुपए वसूल किए जा रहे हैं।
जिस पर शासन का कोई नियंत्रण नहीं है।
गरीब जनता की जिंदगी भर की कमाई खुलेआम लूटी जा रही है। जिस पेशे में लोगों को संवेदनशील होना चाहिए उसी व्यवसाय में संवेदनहीनता की पराकाष्ठा देखी जा रही है।
यदि मरीज की मौत हो जाती है तो उसकी लाश को भी परिवार वालों को ना सौंपकर पहले उसके बिल की वसूली की जाती है। यह एक कटु यथार्थ है। मेरा समस्त कथन कटु सत्य पर आधारित है इसमें पूर्वाग्रह लेश मात्र भी नहीं है।
दरअसल हमारे देश में एक ऐसा वर्ग है जो सत्य को स्वीकार नहीं कर पाता और देश के जनसाधारण को भुलावे में रखकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए अग्रसर रहता है। वे दिन गए जब हम डॉक्टरों को देवता समान मानकर आदर करते थे जिसके वे पात्र भी थे। परंतु वर्तमान में धन लोलुपता ने इस व्यवसाय में संलग्न लोगों को मानवता के मापदंडों से गिरा कर दानवता की श्रेणी में खड़ा कर दिया है।
धन्यवाद !

28 Mar 2021 04:07 PM

आपके विचारों से मैं सहमत हूं आदरणीय मेरे लेख पढ़कर आपने इस पर अपनी बात रखी मुझे अच्छा लगा धन्यवाद

आपके कथन से मैं सहमत हूं। आजकल डॉक्टर का व्यवसाय केवल धन कमाने के उद्देश्य से अपनाया जाता है जिसमें प्रत्यक्ष सेवा भाव की कमी होती है। डॉक्टर सीट पाने के लिए लाखों रुपए के वारे न्यारे किए जाते हैं। इस प्रकार डॉक्टर बने लोगों से सद्भावना एवं सेवा भाव के उम्मीद कैसे की जा सकती है। जिनका लक्ष्य किसी भी तरह मरीज को धोखे में रखकर पैसा कमाना हो। आजकल तो मरीज को फंसा कर हॉस्पिटल में लाने पर निजी अस्पतालों द्वारा कमीशन दिया जाता है। इसके अलावा डॉक्टरों को दवाई कंपनियों एवं दवा विक्रेताओं से कमीशन हासिल होता है । सरकारी डॉक्टर N P A ना लेकर सरकार की सेवा के अलावा प्राइवेट हॉस्पिटल में सेवाएं देकर तगड़ी फीस वसूल करते हैं। इसके अलावा कुछ कुत्सित मनोवृत्ति वाले डॉक्टर मरीजों के अंग निकाल कर उसे बेचने वाले गिरोहों के साथ संलग्न पाए गए हैं।

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