जीवन में सफलता एवं असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । दरअसल यह हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम सफलता एवं असफलता को किस प्रकार लेते हैं। सफल होने पर हमें प्रसन्नता का अनुभव अवश्य होता है , परंतु यह आवश्यक है कि हम अपनी सफलता पर अहंकार का भाव ना आने दें , एवं उन सभी व्यक्तियों पर जिन्होंने हमारी सफलता मे सहयोग प्रदान कर एक अहम् भूमिका निभायी है उनके कृतज्ञ रहें ।
इसी प्रकार असफल होने पर हम आत्म चिंतन कर हमारे असफल होने के कारकों का पता कर उन्हें दूर करने का प्रयास करें , एवं असफलता को एक चुनौती के रूप में स्वीकार कर दृढ़ संकल्प युक्त नव ऊर्जा से सफलता प्राप्ति के अनथक प्रयास हेतु अग्रसर हों। असफल होने पर हीन भावना एवं अवसाद से दूर रहने का प्रयास करें।
अपने अंतःकरण में सफलता प्राप्ति हेतु विश्वास जागृत रखें। जीवन में असंभव भाव को आने ना दें। यह याद रहे कि हर असफलता के बाद प्रयास करने से सफलता की प्राप्ति की जा सकती है। यदि मनुष्य किसी कार्य में सफलता प्राप्ति की ठान लें तो दुष्कर से दुष्कर कार्य सफलता पूर्वक निष्पादित किए जा सकते हैं।
काल्पनिक उड़ानों से बचें , यथार्थ के धरातल पर आकलन करने की क्षमता का विकास करें। आत्मनिर्भरता सद्भाव एवं परिस्थितियों से संघर्ष करने भावना का विकास करें।
धन्यवाद !
जीवन में सफलता एवं असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । दरअसल यह हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम सफलता एवं असफलता को किस प्रकार लेते हैं। सफल होने पर हमें प्रसन्नता का अनुभव अवश्य होता है , परंतु यह आवश्यक है कि हम अपनी सफलता पर अहंकार का भाव ना आने दें , एवं उन सभी व्यक्तियों पर जिन्होंने हमारी सफलता मे सहयोग प्रदान कर एक अहम् भूमिका निभायी है उनके कृतज्ञ रहें ।
इसी प्रकार असफल होने पर हम आत्म चिंतन कर हमारे असफल होने के कारकों का पता कर उन्हें दूर करने का प्रयास करें , एवं असफलता को एक चुनौती के रूप में स्वीकार कर दृढ़ संकल्प युक्त नव ऊर्जा से सफलता प्राप्ति के अनथक प्रयास हेतु अग्रसर हों। असफल होने पर हीन भावना एवं अवसाद से दूर रहने का प्रयास करें।
अपने अंतःकरण में सफलता प्राप्ति हेतु विश्वास जागृत रखें। जीवन में असंभव भाव को आने ना दें। यह याद रहे कि हर असफलता के बाद प्रयास करने से सफलता की प्राप्ति की जा सकती है। यदि मनुष्य किसी कार्य में सफलता प्राप्ति की ठान लें तो दुष्कर से दुष्कर कार्य सफलता पूर्वक निष्पादित किए जा सकते हैं।
काल्पनिक उड़ानों से बचें , यथार्थ के धरातल पर आकलन करने की क्षमता का विकास करें। आत्मनिर्भरता सद्भाव एवं परिस्थितियों से संघर्ष करने भावना का विकास करें।
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