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Comments (4)

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17 Mar 2021 05:51 PM

बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी

17 Mar 2021 08:41 PM

धन्यवाद ?

होठों पे हंसी ; पांव में छाले लेकर हम चलते रहे राहे ज़ीस्त के सफ़र में , वक्त गुज़रते ज़िंदगी उलझन बनती गई ,कश्म़कश़ के इस दौर में ये एहसास जगा गई , क्यूं ना ये ज़िंदगी जो अब तक जी औरों की खातिर अपने लिए भी जी लें , इस ज़ीस्त के सफ़र में चंद खुश़गवार पल अपने लिए निकालने की गुस्ताख़ी कर लें , श़ुक्रिया !

17 Mar 2021 08:41 PM

thank you sir?

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