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Comments (4)

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10 Jul 2021 05:05 PM

बहुत ही सुंदर कविता लिखा है.आपने दीदी जी.?

14 Jul 2021 01:47 PM

हार्दिक आभार भाई

वक्त के दिन और रात , वक्त के कल और आज , वक्त की हर शै गुलाम , वक्त का हर शै पे राज ,
आदमी को चाहिए वक्त से डर कर रहे , कौन जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिज़ाज़ ,
श़ुक्रिया !

22 Feb 2021 02:51 PM

जी बहुत सुन्दर कहा आपने।हार्दिक धन्यवाद।

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