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Comments (14)

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बहुत सुन्दर कविता

26 Feb 2021 11:14 AM

धन्यवाद !

17 Feb 2021 09:59 PM

वाह

18 Feb 2021 07:15 AM

धन्यवाद !

17 Feb 2021 11:17 AM

बहुत ख़ूब लिखा ✍?

17 Feb 2021 04:26 PM

धन्यवाद !

बहुत सुंदर । सत्य सर्वथा कटु अप्रिय नग्न होता है । सत्य से झूठे मक्कार बेईमानों का हृदय भग्न होता है ।

17 Feb 2021 06:49 AM

धन्यवाद !

16 Feb 2021 09:44 PM

तुझको मैने कहां न ढूंढा ,आजा आजा ,
अब तो तू आ जा।
बदल गया है कैसा जमाना आए के तू ही राह दिखा जा।।
सुंदर प्रस्तुति। जय मां सरस्वती। बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय श्री!

16 Feb 2021 10:08 PM

धन्यवाद !

16 Feb 2021 05:04 PM

आपकी रचना में सत्य की खोज में आ रहे ह्रास और प्रतिकूल परिस्थितियों की ओर इशारा किया गया है जो कि लगभग सही महसूस हो रहा है,सादर अभिवादन श्रीमान श्याम सुंदर जी।

16 Feb 2021 06:38 PM

धन्यवाद !

16 Feb 2021 01:51 PM

बहुत सुंदर बहुत खूब रचना श्याम सुंदर जी की यही पहचान है इस झूठे ही लेना झूठ ही देना झूठा ही भोजन झूठ जावे ना इस परइसकी नींव रखी गई है

16 Feb 2021 02:55 PM

धन्यवाद !

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