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वादा ऐ़तबार की नींव है । वादाखिलाफ़ी ऐ़तबार को कमज़ोर कर देती है। जब ऐ़तबार घट जाता है , तब सच्ची बात के इज़हार पर भी यकीन नहीं होता है। जब यकीन नहीं होता तब अल्फ़ाज़ों के कोई कीमत नहीं होती है। जब अल्फ़ाज़ों की कोई कीमत नहीं होती तो आदमी की हस्ती नाक़ारा हो जाती है।
श़ुक्रिया !

13 Feb 2021 06:16 PM

बहुत सुंदर सृजन व्यास जी । आपके द्वारा मेरी रचना ” अधूरा पर पूर्ण प्यार” का अवलोकन अपेक्षित है और यदि ठीक लगे तो अपनी यथा उचित समीक्षा टिप्पड़ी व वोट अवश्य प्रदान करें। सादर।

13 Feb 2021 04:02 PM

बहुत ही सुंदर ? कृपया मेरी कविता ‘मैं इश्कबाज़ नहीं’ को पढ़ें और वोट या प्रतिक्रिया या दोनों दे मेरा उत्साहवर्धन करें?

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