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Comments (4)

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कोई मिलता है तो अब अपना पता पूछता हूं ,
मैं तेरी खोज में खुद से भी परेजाँँ निकला ,
क्या भला मुझको परखने का नतीज़ा निकला , ज़ख्म़े दिल आपकी नज़रों से भी गहरा निकला ,

श़ुक्रिया !

बहुत खूब सर

13 Feb 2021 02:28 PM

बहुत ही सुंदर पंक्तियां? कृपया मेरी कविता ‘मैं इश्कबाज़ नहीं’ को पढ़ें और वोट या प्रतिक्रिया या दोनों दे मेरा उत्साहवर्धन करें?

जी कर दिया है

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