Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (4)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया ,
हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया ,
बर्बादियों का सोग़ मनाना फिज़ूल था ,
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया ,
श़ुक्रिया !

shukriya ji Shyam Sundar Subramanian ji

Loading...