Comments (4)
11 Feb 2021 07:00 PM
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया ,
हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया ,
बर्बादियों का सोग़ मनाना फिज़ूल था ,
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया ,
श़ुक्रिया !
13 Feb 2021 07:25 AM
shukriya ji Shyam Sundar Subramanian ji
बहुत खूब
thanks anu