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Comments (4)

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आपकी कृति बहुत अच्छी है.
मेरी रचना “प्रेम……किस्तों में” पसंद आए तो कृपया उसे अपना बहुमूल्य वोट प्रदान करने की अपार कृपा करेंगे.
?

11 Feb 2021 10:21 PM

प्रणाम ।

अपना साथ छोड़ दे , पर अपनापन साथ नहीं छोड़ता ,
लाख गलती करे अपना , पर अपनापन उसे गलत नहीं मानता ,
रिश्तो की नीव यही है , जिसने अपनों की पीर सही है ,
अपने दर्द से बढ़कर फर्ज है , कभी न चुकने वाला ये रिश्तो का कर्ज है ,
श़ुक्रिया !

10 Feb 2021 10:02 PM

अपनेपन के लिए ही लिखा है।
जिसे हम अपना मानते है,जानते है,उसके भी हृदय में अपना पन जाग जाए,अहम भाग जाए और रिश्तों की डोर और मजबूत हो पाए।दर्द हर पल का सह लेते है।
अपनेवाले को समझाने के लिए कुछ कह लेते है।रिश्ता बना रहे अटूट अश्रु अंतर के बह लेते है।
*आदरणीय आभार प्रणाम!!

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