आपका DP , बहुत खूबसूरत है , और रचना भी , किन्तु रचना में मेरे अनुसार एक अशुद्धि है कि आप बात एक गुलाब की कर रही हो किन्तु लिख रही हो कि , तुमने मेरे बालो में सजाएं थे ,अर्थात बहुवचन , इसका मतलब हुआ कि आपने एक गुलाब को संभाला बाकी को फ़ेंक दिया , मतलब आप भेदभाव में विस्वास रखती है ।
रचना बहुत अच्छे से शुरू हुई किन्तु आखिरी आते आते शुरुरात जैसा गहरा असर नही छोड़ पाई ।
आपको इसमें और भी लिखना चाहिए ।
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका मेरी रचना का इतनी बारीकी से अवलोकन करने के लिए, जो त्रुटियाँ रह गयी हैं सुधारने की कोशिश करूंगी, लेकिन यहां किसी एक शाम की किसी खास पल को व्यक्त किया है । आशा है यहाँ उपस्थित और भी गुणीजन रचना को अवलोकित कर अपने प्रेरणा दायक सुझाव अवश्य दें, जरूरी नहीं की वो प्रशंसा रूप मे ही हो, आलोचनाओं का सादर स्वागत है ??ये प्रेरणा देंगी. मुझे और अच्छा लिख पाने की। ?
बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी
सादर धन्यवाद आदरणीय ?