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!! प्रेम !!
प्रेम हो तो ऐसा पवित्र हो,
जहाँ न वासनाकी भूख हो।
बस अतीन्द्रिय सुख हो,
उनसे बिछड़ने की पीर हो।।
नयनों में भरे लिये नीर हो,
तनसे कितनी भी दूरी लगे।
पर हृदय के वो! करीब हो,
प्रेम हो तो राधारानी जैसा।।
या मीरा दीवानी जैसा हो,
प्रेम हो तो ऐसा पवित्र हो।

अति सुन्दरम्

आदरणीय अर्चना जी, उम्दा सृजन! ईश्वर का आप सभी पर आशीर्वाद… छाया… कृपा बनी रहे। नववर्ष की पुनः शुभकामनायें।

अति सुन्दर, उत्तम रचना ?

22 Jan 2021 07:45 AM

आपकी रचनाओं में कभी कभी
मीरा का प्रेम और महादेवी वर्मा जी का छायावाद झलकता है ।
सुंदर अभिव्यक्ति के लिये बधाई ।

21 Jan 2021 11:56 PM

अति सुन्दर रचना

सराहनीय, बहुत उत्तम रचनाएँ आ.?

अतिसुंदर !

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