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17 Jan 2021 03:11 PM

बैंक की सेवा में जी रहे इंसान के द्वारा लिखी गई यह कविता सुकून प्रदान कर रही, अन्यथा नौकरी पेशा लोगों ने तो किसान को न जाने कितने ही शब्दों से कोसा है, हां आपके संपर्क में किसान आए हों और अपना दुखड़ा सुनाया हो, जिसने आपको भी किसान के प्रति सहृदयता का अहसास कराया! जो भी हो आप के शब्दों से किसान को मरहम लगने का अहसास होगा, धन्यवाद श्रीमान आघात जी।

22 Jan 2021 11:44 AM

हार्दिक आभार उनियाल जी

मैं किसान का बेटा हूं इसलिए मुझे किसान कि दुश्वारियों व उसकी पीड़ा को भली भांति जानता हूं व महसूस कर सकता हूं ।

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