Comments (3)
14 Jan 2021 11:45 AM
हम भी थे कभी बच्चे ।
दिल दिमाग से थे सच्चे
बढ़ गयी उम्र
अब नही रहे सच्चे ।
अच्छी कविता है जी ।
13 Jan 2021 10:17 PM
बच्चों को प्राथमिकता से आंकने के लिए बधाई, संच में बच्चे हैं तो घर में, घर से बाहर, स्कूल, कालेज, विवाह शादी सब जगह पर रौनक बनी रहती है, बहुत सारगर्भित रचना है साधुवाद।
काश! बचपन की निश्चलता जीवन के अगले काल खंडों में भी बनी रहे तो यह जीवन स्वर्ग बन जाए। धन्यवाद बहुत सुंदर रचना। आशा करते हैं हमारी रचनाओं का भी अवलोकन करेंगे।