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बहुत भावपूर्ण कविता। आदरणीय, मेरी कविता कोरोना किसी को हो ना का एक बार अवलोकन करने की कृपा करें और वोट कर अनुगृहीत करें। ?????

बहुत सुन्दर भाव है कुमार अशोक जी। अन्यथा न लें तो
एक बार अपनी कृति में वर्तनी की अशुद्धियों को एडिट कर दुरुस्त कर लें।भाव के साथ शुद्ध वर्तनी आपकी कविता को सौंदर्य से परिपूर्ण कर देगी । धन्यवाद।

13 Jan 2021 10:32 PM

बेटी की रक्षा करने में यदि कभी जान पर बन आए तो पिता जान देने को तत्पर रहेगा, लेकिन यह समाज जि,हमें मानव भेस में भेडिये छुपे हुए हैं और उन्हें शासन प्रशासन का संरक्षण मिलने लगता है तब माता पिता बिना कुछ कुर्बानी के ही मर कर रह जाते हैं!न्याय व्यवस्था तक पहुंचने की प्रक्रिया भी जटिल और शर्मनाक है,हर कदम पर लांछन झेलता परिवार अधिकांशतः टूट कर बिखर जाता है, और न्याय के स्थान पर अन्याय का बोलबाला बनता जा रहा है!दुखद परिदृश्य, से डर लगने लगा है।

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