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तू कुछ इस क़दर मुझमे गुम़ हो जाए ,
हम दोनों यकसां हों ज़माने से गुम़श़ुदा हो जाऐं ,
श़ुक्रिया !

अत्यन्त प्रभावशाली एवं सन्देशपूर्ण, सृजन, जयदीप जी..! आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरी रचना “कोरोना को तो हरगिज़ है अब ख़त्म होना ” पर भी दृष्टिपात करने की कृपा करें एवं यदि रचना पसन्द आए तो कृपया वोट देकर कृतार्थ करें..!
साभार..!???

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