मां सरस्वती की कृपा होगी अच्छे लेखक भी बन जाओगे! “मासूमियत” एक सुंदर लघु कथा के लिए धन्यवाद! मेरी रचना”” नाम मिला जिसे कोरोना”” का अवलोकन करने का कष्ट करें, अच्छी लगे तो वोट देकर अनुग्रहित करें !धन्यवाद!
जी आभार आपका
अत्यन्त प्रभावशाली एवं सन्देशपूर्ण, सृजन,राजपूत जी ..! आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरी रचना “कोरोना को तो हरगिज़ है अब ख़त्म होना ” पर भी दृष्टिपात करने की कृपा करें एवं यदि रचना पसन्द आए तो कृपया वोट देकर कृतार्थ करें..!
साभार..!???
आभार आपका जी
भई, आपकी लेखनी में तो मानवीय संवेदनाओं का प्रचुर भंडार है,हम समाज में यह संदेश देने में कामयाब हो जाएं तो बहुत कुछ परिवर्तन नजर आ सकता है, ऐसे हाल में जब संवेदनाएं सिर्फ अपनों तक ही सिमट गई है! बहुत सुंदर भाव पूर्ण अभिव्यक्ति है!
बहुत बहुत शुक्रिया जी आपका , बस कोशिश करते है जी हम तो
अति सुन्दर लघु कथा संदीप जी.. शुभकामनाएं ? कृप्या मेरी कविता “कोरोना बनाम क्यूँ रोना”का अवलोकन करें और अपना बहुमूल्य वोट देकर अनुगृहित करें ?
बहुत बहुत शुक्रिया आपका ,
शुरुआत अच्छी है परंतु मध्य से प्रायोगिक यथार्थ न होकर स्वप्नदर्शी आदर्शवाद की तरफ चली जाती है जो स्वाभाविकता से दूर है ।
बीच में बच्चे की मासूमियत दिखाई गई है जिसने मीना मेम के दिल में छाप छोड़ी , जिस पर कहानी आधारित है , सीख जाएंगे जी आराम आराम से , कहानी का अवलोकन कर अच्छाई व खामियां बताने का तहदिल से शुक्रिया आपका