Comments (4)
5 Jan 2021 01:12 PM
दुबे जी यह रचना , गलत मोड़ ले गयी ,इसमें संसोधन की जरूरत है , यह अत्यधिक कुंठित मन का विस्फोट है ।
4 Jan 2021 01:18 PM
बहुत सुन्दर लघु कथा अक्षय दुबे जी.. आपको नव वर्ष की शुभकामनाएँ ?? मेरी रचना “कोरोना बनाम क्यों रोना” का भी अवलोकन करके अपना बहुमूल्य वोट देकर अनुगृहित करें ?
4 Jan 2021 11:40 AM
अत्यंत भावुक रचना, दुबे जी..!
आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरी रचना “कोरोना को तो हरगिज़ है अब ख़त्म होना ” पर भी दृष्टिपात करने की कृपा करें एवं यदि रचना पसन्द आए तो कृपया वोट देकर कृतार्थ करें..!
साभार..!???
बहुत सुंदर रचना ।कृपया मेरी कविता “अमर प्रेम (सवैया) का अवलोकन कर एक वोट देकर सहयोग की कृपा करें।।