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Comments (6)

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3 Jan 2021 10:18 PM

कलाओं की कहां कमी है मानवी वेश में।
कुछ लोग जीते हैं इसी परिवेश में।।
आपकी प्रस्तुति पर धन्यवाद!

3 Jan 2021 10:52 PM

बहुत बहुत आभार

?बहुत ख़ूब..!

3 Jan 2021 03:06 PM

Thanks

वो अपने फ़न में इतना म़ाहिर है ,
के झूठ को भी सच बनाकर पेश करने की अदा जानता है ,
और ये ज़माना उसकी लफ़्फाज़ी के फ़रेब में आकर पेश किए झूठ को सच मानता है ,

श़ुक्रिया !

3 Jan 2021 03:06 PM

Thanks

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