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Comments (4)

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सर आपकी रचना बहुत अच्छी है किंतु वही पारम्परिक कविता है ,ईस्वर का गुणगान करना उसकी शक्तियों का प्रदर्शन करना अपने आप को उसके सामने तुक्ष दिखाना , अर्थात जो 1000-2000 सालों से चली आ रही है उसी को अपने अच्छे शब्दो में पिरो दिया है । अच्छा होता कि आप इन सुंदर शब्दो से ईस्वर का प्रश्न पूछते और उसी पर प्रश्नचिन्ह करते ।

28 Dec 2020 12:56 PM

बहुत सुन्दर रचना संजीव जी.. शुभकामनाएँ?
मेरी रचना “कोरोना बनाम क्यों रोना” का भी अवलोकन करके अपना बहुमूल्य वोट देकर अनुगृहित करें ?

28 Dec 2020 11:51 AM

सुंदर प्रस्तुति ।
कृपया मेरी रचना
कोरोना के रोने को क्या रोना
का अवलोकन करें

अतिसुंदर तत्वदर्शन भावयुक्त प्रस्तुति।

धन्यवाद !

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