Comments (9)
14 Mar 2021 08:53 PM
जिन्दगी को हमेशा जीने योग्य समझना चाहिए। धन्यवाद आपका जी
24 Jan 2021 07:00 AM
मनीषा कुशवाहा जी! अति सुंदर रचना!!
28 Dec 2020 09:03 PM
अभिनव मिश्र
अभिनव मिश्र”अदम्य
Dec 28, 2020 08:52 PM
आपसे अनुरोध है कि आप मेरी रचना(” कोरोना इक वायरस )का अवलोकन करके, अपना बहुमूल्य वोट देकर अनुगृहित करें. ??
28 Dec 2020 02:09 PM
बहुत सुन्दर रचना मनीषा जी.. शुभकामनाएँ
मेरी रचना “कोरोना बनाम क्यों रोना” का भी अवलोकन करके अपना बहुमूल्य वोट देकर अनुगृहित करें ?
MANISHA KUSHWAHA
Author
28 Dec 2020 03:32 PM
जी जरूर । आपका बहुत बहुत शुक्रिया।।
27 Dec 2020 09:27 PM
बहुत ही सुन्दर भाव। सच्ची भावनाओं का प्रतिबिंबन। सच है कि हम खुद के लिए समय नहीं निकाल पाते। ये मन है जनाब, फिर उदास होता है। मनोविज्ञान का सुन्दर चित्रण।
अप्रतिम कविता के लिए बधाई। ???
MANISHA KUSHWAHA
Author
27 Dec 2020 09:58 PM
बहुत बहुत शुक्रिया आपका ?
14 Mar 2021 08:55 PM
उर्दू का कम उपयोग किया जाना चाहिए हमारी मातृभाषा में बहुत सुंदर शब्द है
बहुत सुंदर रचना के साथ मोबाइल नंबर भी दिया करो धन्यवाद आपका जी