समसामयिक रचना
बेहतरीन रचना
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ आपको मेरा वोट स्वीकार हो।।
:- पाण्डेय चिदानन्द “चिद्रूप”
+917525099399?
धन्यवाद sir
जिन्होंने मेरी उत्कृष्ट रचना “कोरोना दोहा नवमी” को वोट दिया उनका विशेष धन्यवाद…. जिन्होंने नहीं दिया कोई नहीं अगली प्रतियोगिता में दे दीजियेगा…..
दे दिया sir
वज़ू हो या कि पृच्छालन, सभी सिखाते शुचि पालन,,
वाह डाक्टर साहब, अत्यंत सुंदर, संदेशप्रद, सार्थक सृजन।
आपके भीतर के साहित्यकार को नमन।
धन्यवाद
Voted sir ?
Thank you mam
Mubarqaa’n…… डॉ पी के शुक्ला जी, आपके 500 वोट हो तो अपना कीमती वोट खाकसार को भी दे देना भाई जी…. “कोरोना दोहा नवमी” यदि पसंद आये तो…. नहीं तो कोई बात नहीं! Yaad Aaaya…..
Voted sir
आपकी इस अदा पर फिदा ।
आपका स्वागत है ।
सुंदर रचना ??? मैंने वोट दे दिया ???
Voted mam
Thank you
डॉ पी के शुक्ला जी, आपके 500 वोट हो जाएँ तो अपना कीमती वोट खाकसार को भी दे देना भाई जी…. “कोरोना दोहा नवमी” यदि पसंद आये तो…. नहीं तो कोई बात नहीं!
Voted sir
बहुत उत्तम संदेश देती बेहतरीन रचना आदरणीय, हमारा वोट स्वीकार करें और हमारी रचना, सिखाए कोरोना पर अपना वोट देकर कर्त्तार्थ करें प्रभु ??
Voted sir
अति उत्तम रचना ! मैने आपकी रचना को अपना वोट दिया कृपया आप भी मेरी कविता को अपना वोट देने की कृपा करें ।
Voted mam .
Thank. You
Bahut hi Sundar prastuti
धन्यवाद
आदरणीय मैने आपको वोट कर दिया है कृपया वोट कर दीजिए धन्यवाद
Voted sir . Thank you
I have voted, pls vote me
Voted sir
Thank you
हे प्रभु! अब तो दे दीजिये….. मेरी रचना “कोरोना दोहा नवमी” पर वोट…… I’m Bating on 98…… please help me to my 1st 100
दिया प्रभू ।धन्यवाद
अत्यंत सुंदर रचना डॉक्टर साहब।
Thank you
??
Thank you
Very nice Sir…
धन्यवाद
अत्यंत सुंदर रचना डॉक्टर साहब।
धन्यवाद
कोरोना पर गीत
? *संकट भारी है* ?
देशका राजा मदद मांगे तो, समझो संकट भारी है।
सारा सरकारी अमला ,कुछ अपनी जिम्मेदारी है।।
रूपविकट धर कोरोना,अब बन आयी महामारी है
हम सबके सहयोग से ही तो, लड़ने की तैयारी है।।
निकलो मास्क लगाकर,घरमें हाथोंको भी धोलेना।
थोड़ी सी लापरवाही में अपनों को मत खो देना ।।
अबभी न समझेतो निश्चितकल अपनीही बारीहै
सोच कलेजा काँप उठे,ये लाइलाज बीमारी है ।।
दिलदहला उसघटना से,जिसमें अपनोंको खोयाहै
जोक बना तुम हंसते हो,वो खूनके आंसू रोया है।।
हाहाकार मची धरती पर,मौत का तांडव जारी है।।
लाश मिलेही न अग्निदाह को,कैसी ये लाचारी है।।
रिश्तेव्यवहार निभानेको,अबना हाथमिलाना तुम।
कोरोना के कीटाणु मत, अपने घर ले आना तुम।।
सीमाओं पर खूब लड़े हम अद्भुत जंग ये जारी है।
अपने अपने बैठ घरों में होगी जीत हमारी है।।
जोखिममें है जान पुलिस सैनिक,चिकित्सकों की हरदम।
बांधकफ़न जब निकलेवो,होतीं परिवारकी आंखेंनम।।
इन बेटों की माताओं का, देश सदा आभारी है।
भक्तों पर संकट आया औ ,बंद सुदर्शन धारी है।।
रहें सुरक्षित वो भी हम भी ,चाहे जितनी दूरी हो ।
अंतिम वक्त में दूरसे देखें,इतनी भी न मजबूरी हो।
हाथ जोड़ सब देशवासियों ,से यह विनय हमारी है
केवल घरपरिवार नहीं हमेंजान सभीकी प्यारी है।।
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
साईंखेड़ा