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ये समय है
जीवन तो केवल फँस गया है
हार जीत खुद ही तय की है इसने
समय पर ना कोई फर्क पड़ता
हम अकेले रोते हैं
क्योकि हम चाहते हैं आगे निकलना
पीछे रह जाय तो भी कुछ फर्क नही पड़ता है
हाँ बस हमारी ईगो और हमरो की ईगो तड़पती है
पार्टियों में समाज में कैसे खड़े हो
किसे सर तान कर खड़े हों
कैसे जबर्दस्ती दूसरों को नीचा दिखाएँ
जबकि समाज के लिए
देश के लिए
योगदान तो उस प्राणी का भी है
जिसे हमने नाकारा समझा और अँधेरे में
पुरानी किताबों के पन्नो में
कुछ स्याही के साथ सड़ने के लिए छोड़ दिया था
आज जब वो भड़क गया
तो दुनिया को समाज को व्यक्ति को
उसकी औकात समझ आयी …..

21 Dec 2020 07:28 PM

बहुत खूब

Vr nice

21 Dec 2020 05:10 PM

Thankyou Ji

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