Comments (5)
10 Dec 2020 09:42 AM
मेरा काला गोगल
देख कर
मेरा उभरा हुआ रौद्र देख कर
डॉन ना समझना मुझे
मेरे अंदर भी
डॉन सी मोहब्बत वसती है
कवि की भाषा में
निकलती है ।
।। माफ करना ।।
Rajesh vyas
Author
10 Dec 2020 08:34 PM
लेखन मेरी जान है, चाहे जमाने में कम पहचान है, मिलता रहे मां का सभी को आशीष, यही मेरी कामना है !!! धन्यवाद!!!
10 Dec 2020 09:39 AM
अनुकरणीय लिखा है ।
ज्ञान का सफलतम रूप ।
अतिसुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति।
धन्यवाद !
धन्यवाद सर!!!