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अतिसुंदर !
आपकी प्रस्तुति से मुझे कवि नीरज की कविता की पंक्तियां याद आ गईंं प्रस्तुत कर रहा हूं :
हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ , होठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ ,
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ , और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमि पर उतार दूँ ,
धन्यवाद !
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय ??
अतिसुंदर !
आपकी प्रस्तुति से मुझे कवि नीरज की कविता की पंक्तियां याद आ गईंं प्रस्तुत कर रहा हूं :
हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ ,
होठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ ,
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ ,
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमि पर उतार दूँ ,
धन्यवाद !
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय ??