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पवित्र उद्देश्य है, किन्तु जमाने को अभी भौतिक सुखों की दौड़ में भागता हुआ देख रहा हूं, जहां सब कुछ अपने तक सीमित और समेट कर रखने की प्रवृति बढ़ी हुई है! फिर भी प्रयास तो जरुरी है। सादर नमस्कार दुबे जी
पवित्र उद्देश्य है, किन्तु जमाने को अभी भौतिक सुखों की दौड़ में भागता हुआ देख रहा हूं, जहां सब कुछ अपने तक सीमित और समेट कर रखने की प्रवृति बढ़ी हुई है! फिर भी प्रयास तो जरुरी है। सादर नमस्कार दुबे जी