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च़रागे शाम़े तम़न्ना न होती, तो उम्म़ीद की सहर भी न होती ,
श़ुक्रिया !
च़रागे शाम़े तम़न्ना न होती,
तो उम्म़ीद की सहर भी न होती ,
श़ुक्रिया !