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सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति।

इसी संदर्भ में मेरे द्वारा प्रस्तुत कविता शीर्षक” ख़ुशी” का अवलोकन करें :

कहां-कहां नहीं खोजा तुमको ,
हस़ीन पहाड़ों की वादियों में ,
बागों की बहारों में ,
आलीशान जलसों में ,
दोस्तों की म़हफिल में ,
ऐश़ो इश़रत में ,
मय़खाने की मय़नोशी में ,
खेलों की बाज़ी में ,
साधु संतों और पीर फकीर बाबाओं की संगत में ,
कीर्तन और भजनों के रतजगों में ,
किस्सागोई में ,
पर तुम कहीं ना मिली ,
सोचता हूं तुम कहीं मुझ में ही छिपी थी ,
जिसे मै अब तक ढूंढने में नाकाम रहा था ,

धन्यवाद !

24 Nov 2020 09:19 PM

सुंदर!

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