नैतिक मूल्यों का ह्रास एवं संस्कारविहीनता आधुनिक समाज की विसंगतियों का मूल कारण है।
बच्चों में संस्कारों एवं नैतिक मूल्यों का पोषण उनमें परिवार मे संस्कारी माता पिता एवं बड़े बूढ़ों द्वारा किया जाता है। वर्तमान में टूटते परिवारों में यह असंभव सा प्रतीत होता है।
शिक्षा के क्षेत्र में नैतिकता का विषय अनिवार्य कर देने पर भी जब तक समाज में नैतिक मूल्यों का प्रतिपालन के लिए प्रेरणा का अभाव होगा , इस संदर्भ में अपेक्षित परिणाम की संभावना प्रश्नवाचक बनकर रह जाएगी । अतः इस विषय में गंभीर चिंतन की आवश्यकता है । आधुनिक भौतिकवाद एवं पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के चलते जनसाधारण की मानसिकता में परिवर्तन लाने का प्रयास एक कठिन कार्य सिद्ध होगा, ऐसा मेरा विचार है।
नैतिक मूल्यों का ह्रास एवं संस्कारविहीनता आधुनिक समाज की विसंगतियों का मूल कारण है।
बच्चों में संस्कारों एवं नैतिक मूल्यों का पोषण उनमें परिवार मे संस्कारी माता पिता एवं बड़े बूढ़ों द्वारा किया जाता है। वर्तमान में टूटते परिवारों में यह असंभव सा प्रतीत होता है।
शिक्षा के क्षेत्र में नैतिकता का विषय अनिवार्य कर देने पर भी जब तक समाज में नैतिक मूल्यों का प्रतिपालन के लिए प्रेरणा का अभाव होगा , इस संदर्भ में अपेक्षित परिणाम की संभावना प्रश्नवाचक बनकर रह जाएगी । अतः इस विषय में गंभीर चिंतन की आवश्यकता है । आधुनिक भौतिकवाद एवं पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के चलते जनसाधारण की मानसिकता में परिवर्तन लाने का प्रयास एक कठिन कार्य सिद्ध होगा, ऐसा मेरा विचार है।
धन्यवाद !
जी उचित ही है।प्रणाम