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चार दिन की ये ज़िंदगानी ज़िंदादिली से जियो , कल की फ़िक्र क्यों करें जब कल पर इख्त़ियार ना हो,
श़ुक्रिया !
चार दिन की ये ज़िंदगानी ज़िंदादिली से जियो ,
कल की फ़िक्र क्यों करें जब कल पर इख्त़ियार ना हो,
श़ुक्रिया !