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अंकित बाबू, नेताओं की लानत मलामत बहुत हो गई,वह तो अपने स्वार्थ के लिए करते रहेंगे, किन्तु आज का परिवेश तो यह है कि हम भी मूल समस्याओं को दरकिनार करते हुए, इन्हीं पचड़ों में पड़ कर अपने आस-पास का वातावरण ऐसा ही बनाने में लगे हुए हैं!
जी महोदय आपकी बात से सहमत हूं।
अंकित बाबू, नेताओं की लानत मलामत बहुत हो गई,वह तो अपने स्वार्थ के लिए करते रहेंगे, किन्तु आज का परिवेश तो यह है कि हम भी मूल समस्याओं को दरकिनार करते हुए, इन्हीं पचड़ों में पड़ कर अपने आस-पास का वातावरण ऐसा ही बनाने में लगे हुए हैं!
जी महोदय आपकी बात से सहमत हूं।