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च़राग़ दिल का जलाओ बहुत अंधेरा है ,
कहीं से लौट के आओ बहुत अंधेरा है ,
कहां से ढूंढ के लाऊं वो रंगत गई बहारों की ,
तुम्हारे साथ गई रोशनी नज़ारों की ,
मुझे भी पास बुलाओ बहुत अंधेरा है ,
सितारों तुमसे अंधेरे कहाँ संभलते हैं ,
उन्हीं के नक्शे कदम से च़राग़ जलते हैं ,
उन्हीं को ढूंढ के लाओ बहुत अंधेरा है ,

श़ुक्रिया !

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