इश्क़ का ज़र्फ़ आज़माँ तो सही ,
तू नज़र से नज़र मिला तो सही ,
मिल ही जायेगा ज़िंदगी का सुराग़ ,
दोस्तों के फ़रेब खा तो सही ,
दिल को तस्कीं न हो तो मैं ज़ामिन ,
तू कभी मयकदे में आ तो सही ,
ज़ीस्त अश्क़ों में ढल न जाये कहीं ,
दोस्त इक बार मुस्करा तो सही ,
ज़िंदगी को सम्भालने वाले ,
तू कभी पी के लड़खड़ा तो सही ,
इश्क़ का ज़र्फ़ आज़माँ तो सही ,
तू नज़र से नज़र मिला तो सही ,
मिल ही जायेगा ज़िंदगी का सुराग़ ,
दोस्तों के फ़रेब खा तो सही ,
दिल को तस्कीं न हो तो मैं ज़ामिन ,
तू कभी मयकदे में आ तो सही ,
ज़ीस्त अश्क़ों में ढल न जाये कहीं ,
दोस्त इक बार मुस्करा तो सही ,
ज़िंदगी को सम्भालने वाले ,
तू कभी पी के लड़खड़ा तो सही ,
श़ुक्रिया !