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जिंदगी भर हम सब्र करते रहे, रोज जीते रहे रोज मरते रहे , अब तो लगता है जब सब्र की इंतहा होगी, तब तक जिस्म़ से जान जुदा हो चुकी होगी ,
श़ुक्रिया !
जिंदगी भर हम सब्र करते रहे,
रोज जीते रहे रोज मरते रहे ,
अब तो लगता है जब सब्र की इंतहा होगी,
तब तक जिस्म़ से जान जुदा हो चुकी होगी ,
श़ुक्रिया !