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ग़र लाख कोशिश करो हक़ीक़त छुपती नहीं , लब़ खामोश होंं फिर भी नज़रों से बयां हो जाती है ,
श़ुक्रिया !
ग़र लाख कोशिश करो हक़ीक़त छुपती नहीं ,
लब़ खामोश होंं फिर भी नज़रों से बयां हो जाती है ,
श़ुक्रिया !