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दिल के जज़्बातों का इज़हार लफ्ज़ों में नहीं कर पाता, होंठ थर्राते हैं कुछ कह नही पाता , हाथ कांपते हैं कुछ लिख नहीं पाता, इसी कशमकश में बेचैन दिन रात गुज़रते हैं , हम तेरी यादों के सहारे रोज जीते हैं रोज मरते हैं ,
श़ुक्रिया !
दिल के जज़्बातों का इज़हार लफ्ज़ों में नहीं कर पाता,
होंठ थर्राते हैं कुछ कह नही पाता ,
हाथ कांपते हैं कुछ लिख नहीं पाता,
इसी कशमकश में बेचैन दिन रात गुज़रते हैं ,
हम तेरी यादों के सहारे रोज जीते हैं रोज मरते हैं ,
श़ुक्रिया !