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आपके कथन से मैं सहमत नहीं हूं।
वर्तमान में पद और ताकत के बल पर लोग अपना तो क्या है आने वाली पीढ़ी का भी भविष्य बदल कर रख देते हैं। आधुनिक युग में इंसान का मूल्यांकन उसके कार्यों के आधार पर नहीं अपितु उसके पद और ताकत के बल पर होता है। राजनीति एवं व्यापार में व्याप्त वंशवाद इसके उदाहरण हैं।
इस देश के इतिहास मे पहले मुगलों ने दमन नीति से शासन किया उसके बाद अंग्रेजों ने फूट डालो राज करो इस नीति से देश को गुलाम बनाकर निरंकुश दमन चक्र चलाकर शासन किया। यह देश जो अतीत में सोने की चिड़िया कहलाता था, कफ़स मैं कैद बुलबुल की तरह होकर रह गया। जो अपने व्यथा गाती थी परंतु अपनी स्वतंत्रता के लिए कुछ करने में असमर्थ होकर रह गई थी। इस देश की जनता की त्रासदी यही है कि यह पद और ताकत से प्रभावित होती है, ना कि नेक कार्यो एवं मानवीय मूल्यों के आधार पर किसी व्यक्ति विशेष का मूल्यांकन कर अनुसरण करती है।
यह एक कटु सत्य है !

धन्यवाद !

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