Comments (6)
19 Sep 2020 09:56 PM
बहुत अच्छा
Seema katoch
Author
20 Sep 2020 06:30 PM
Thanks ji
19 Sep 2020 09:16 PM
बहुत खूब लाजवाब
जाने कहा से
चली आती है यादे ,
फिर ना जाने
कहा छुप जाती है।
खानाबदोश सी
भटकती रहती है।
इनका क्या
घर ठिकाना नही होता ।।
रचनाओ के गागर मे भावो का सागर भर शब्दो का सन्तुलन बनाने मे महारत हासिल है,इस कला का पुन: प्रभाव शाली प्रदर्शन एक शीतल बयार सा।
ऐसे ही साहित्य की लहरे बहती रहे
Seema katoch
Author
20 Sep 2020 06:31 PM
Thanks ji
सुंदर प्रस्तुति।
धन्यवाद !
Thanks ji