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कुदरत का कहर जब बरसता है , तब उस पर किसी का जोर नही चलता है , आदमी मूकदर्शक बनकर देखता रहता है , दिल रह रह कर डर से दहलता रहता है ,
धन्यवाद !
कुदरत का कहर जब बरसता है ,
तब उस पर किसी का जोर नही चलता है ,
आदमी मूकदर्शक बनकर देखता रहता है ,
दिल रह रह कर डर से दहलता रहता है ,
धन्यवाद !