Comments (4)
12 Sep 2020 12:22 AM
काश मैं तुमसे अपने जज़्बात का इज़हार कर पाता।
तो अपने आप को आज इतना बेबस लाचार ना पाता।
श़ुक्रिया !
Johnny Ahmed 'क़ैस'
Author
12 Sep 2020 06:08 AM
धन्यवाद आदरणीय
Sir apne bohot hi acha poem likha hai. Wonderful
Thanks beta