Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (2)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
5 Jan 2021 10:42 AM

किसान के प्रति सरकार का दुराग्रह अब खलने लगा है, यह वह किसान है जो राष्ट्र वादी रुख अपना कर इन्हें राज पद पर आसीन कराके स्वयं को दो बार साबित कर चुका था, किन्तु निष्ठुर तंत्र एवं नवधनाढ्यों की अति महत्त्वाकांक्षा ने अपने अहसानों के बोझ से दबे शासकों को इतना दरिद्र बना दिया है कि वह कुछ करने की क्षमता को बंधक बना बैठे हैं, इनसे अपेक्षा करना अब अपेक्षित नहीं रहा है! अब उचित समय की प्रतिक्षा करने के साथ अपनी आवश्यकताओं को सीमित करके अपने उत्पादों को बिक्री के लिए बाजार में उपलब्ध कराने से इंकार कर, जरूरत मंद लोगो को उनकी जरूरत के हिसाब से देकर, जनसरोकार को बनाए रखते हुए, सरकार के निकट वर्ती उधोग घरानों को घर बैठने को मजबूर कर दें ताकि उन्हें उनकी हैसियत दिखाई जा सके! क्या कर सकेंगे किसान भाई यह प्रयास, शायद नहीं? और फिर इसी तरह छले जाते रहेंगे!

5 Jan 2021 10:26 AM

किसानों के प्रति सरकारी ््््््द््््््दु

Loading...