सड़क के गुंडे को जब नेता बनाओगे।
तब इसी प्रकार का कष्ट प्रसाद पाओगे।
संविधान की मर्यादा की जो बात करते है।
वो ही नेता रोज इसकी धज्जियां उड़ाते फिरते हैं।
इस देश में नोट की खातिर वोट बिकते हैं।
जनता के ज़मीर बिकते हैं , ईमान बिकते हैं।
सत्ता के भूखे ये भेड़िए रोज नया तमाशा करते हैं।
आम लोग इनकी कठपुतली बने रोज लड़ते मरते हैं।
सड़क के गुंडे को जब नेता बनाओगे।
तब इसी प्रकार का कष्ट प्रसाद पाओगे।
संविधान की मर्यादा की जो बात करते है।
वो ही नेता रोज इसकी धज्जियां उड़ाते फिरते हैं।
इस देश में नोट की खातिर वोट बिकते हैं।
जनता के ज़मीर बिकते हैं , ईमान बिकते हैं।
सत्ता के भूखे ये भेड़िए रोज नया तमाशा करते हैं।
आम लोग इनकी कठपुतली बने रोज लड़ते मरते हैं।
धन्यवाद !
जी यथार्थ भाव, प्रणाम, आभार