You must be logged in to post comments.
कुछ तुम्हारी बंदिशें थी कुछ थे मेरे दायरे। जब मुकद्दर की बने दुश्मन तो कोई क्या करें।
श़ुक्रिया !
कुछ तुम्हारी बंदिशें थी कुछ थे मेरे दायरे।
जब मुकद्दर की बने दुश्मन तो कोई क्या करें।
श़ुक्रिया !