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29 Aug 2020 03:46 PM

डॉ साहब, आपमें मानवीय संवेदनाएं भरी पड़ी हैं, आपने जिस तरह इस दंपति को इतने सहज रूप में साकार किया है,यह कम ही होता है, हां यह हमारे पहाड़ पर यदा कदा है, अपितु सच कहूं तो पत्नी हो या पति, पिता हो या पुत्र-पुत्री, या भाई अक्सर ऐसा ही करते हैं, कभी उपचार के लिए तो कभी बैंक में आने-जाने के लिए, परिवहन से वंचित लोगों की यही व्यथा है जिसे वह ढो रहे हैं,सादर नमन।

29 Aug 2020 01:19 PM

बहुत सुंदर ।
धन्यवाद !

अतिसुंदर प्राकृतिक सौंदर्य की व्याख्या एवं पहाड़ी स्त्रियों के सम्मान में भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

धन्यवाद !

29 Aug 2020 10:38 AM

धन्यवाद , सादर प्रणाम

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