Comments (4)
16 Aug 2020 08:18 AM
Excellent
Seema katoch
Author
16 Aug 2020 03:53 PM
Thanks ji
हृदयस्पर्शी रचना में बूझने का आह्वान है और ज्ञानी का सम्मान पाने का मोह भी अतः उसी विधा में एक तुच्छ सा प्रयास
ए
दबे
तूफ़ान
सब्र कर
ले थोड़ा और ,
तेरा समय भी
आयेगा पुरज़ोर
ये
आँसू
सूख के
बढ़ाते है
दर्द की तल्खी
ज्यों पानी सूखने
से तासीर काढे की
सूक्ष्मतम शब्दों में गहन भावों को संकुचित करने की नई विधा सैकड़ों गुलाबों से बने एक बूंद अर्क की तरह प्रभावी है तथा विस्मित करती है।
सुन्दर रचनाएं अन्य का भी नयी विधा में पथ प्रदर्शन और प्रेरणा स्त्रोत का भी स्थान ले रही है ।
सृजन की प्रक्रिया अक्षुण्ण रहे तथा रचनाये वट वृक्ष का रूप ले श्रांत पाठकों के व्यथित मानस को उल्लसित करती रहें ऐसा ईश्वर से निवेदन है।
शुभकामनाएं ऐवम बधाईयाँ
Thanks ji