प्रियंका जी, आपने बहुत उपयोगी जानकारी दी है, संयोग से मैं भी उपभोक्ता संरक्षण फोरम में एक उत्पाद,लुमिनियस इनवर्टर की बैटरी के समय पूर्व खराबी के विरुद्ध जिला फोरम में था, जिसमें मेरे पक्ष में फैसला आया, और अब वह राज्य फोरम में ले जाया जा चुका है, वर्ष दो हजार सोलह में वाद दायर किया था,बीस में निर्णय आया, अब राज्य फोरम में चलेगा,कब तक संघर्ष किया जा सकता है,वह भी तब जब हम,मुझ जैसे उम्र दराज लोग जिन्हें अदालत में आने जाने में भी दिक्कत होती हो, उन्हें कानूनी प्रक्रिया में इस तरह उलझा दिया गया है कि थकान होने लगी है, और निराशा बढ रही है, ऐसे में इसमें तो बहुत कुछ संशोधन किए जाने चाहिए, और उपभोक्ता को तत्काल राहत मिले, लेकिन हम जैसे लोगों को उलझा कर, सौदे बाजी करके मूर्ख बनाने का काम कंपनी करती है,, और हमारे पास सबूतों का भी अभाव रहता है, इस लिए मेरे विचार से एक थकाऊ प्रक्रिया है, और इसी कारण लोग इसमें पड़ने बचने में ही अपना हित समझते हैं,कम से कम मैं तो यही मानने लगा हूं, खर्चा वकील का, नोटिस भेजने का, आने जाने का,समय को देने का, और क्षति पूर्ति का आंकलन भी प्रर्याप्त नहीं, और वह भी अंत तक लड़ने की सामर्थ्य बहुत कुछ लगाना पड़ता है, फिर वह न्याय हो ही जाए,भाग्य का सहारा लेकर छोड़ने पर आ जाता है। फिर भी आपने जानकारी देकर अपना दायित्व का निर्वहन किया है के लिए आभार!सस्नेह वंदन
प्रियंका जी, आपने बहुत उपयोगी जानकारी दी है, संयोग से मैं भी उपभोक्ता संरक्षण फोरम में एक उत्पाद,लुमिनियस इनवर्टर की बैटरी के समय पूर्व खराबी के विरुद्ध जिला फोरम में था, जिसमें मेरे पक्ष में फैसला आया, और अब वह राज्य फोरम में ले जाया जा चुका है, वर्ष दो हजार सोलह में वाद दायर किया था,बीस में निर्णय आया, अब राज्य फोरम में चलेगा,कब तक संघर्ष किया जा सकता है,वह भी तब जब हम,मुझ जैसे उम्र दराज लोग जिन्हें अदालत में आने जाने में भी दिक्कत होती हो, उन्हें कानूनी प्रक्रिया में इस तरह उलझा दिया गया है कि थकान होने लगी है, और निराशा बढ रही है, ऐसे में इसमें तो बहुत कुछ संशोधन किए जाने चाहिए, और उपभोक्ता को तत्काल राहत मिले, लेकिन हम जैसे लोगों को उलझा कर, सौदे बाजी करके मूर्ख बनाने का काम कंपनी करती है,, और हमारे पास सबूतों का भी अभाव रहता है, इस लिए मेरे विचार से एक थकाऊ प्रक्रिया है, और इसी कारण लोग इसमें पड़ने बचने में ही अपना हित समझते हैं,कम से कम मैं तो यही मानने लगा हूं, खर्चा वकील का, नोटिस भेजने का, आने जाने का,समय को देने का, और क्षति पूर्ति का आंकलन भी प्रर्याप्त नहीं, और वह भी अंत तक लड़ने की सामर्थ्य बहुत कुछ लगाना पड़ता है, फिर वह न्याय हो ही जाए,भाग्य का सहारा लेकर छोड़ने पर आ जाता है। फिर भी आपने जानकारी देकर अपना दायित्व का निर्वहन किया है के लिए आभार!सस्नेह वंदन