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5 Aug 2020 11:08 PM

आज ही की बात है. मैं घर से ऑफिस के लिए निकला. इंदोरा चौक, नागपुर में अपने सहकर्मी के इंतजार में सिटी बस स्टॉप पर खड़ा था. वहां खड़े एक सज्जन ने खुद होकर मुझसे मेरा परिचय पूछा. पत्रकारिता से जुड़ा जानकर मुझसे अयोध्या में मंदिर के शिलान्यास किए जाने को लेकर प्रतिक्रिया जाननी चाही. मैं थोड़ी बेरुखी दिखाई तो उसने जिस बेबाक अंदाज में अपनी राय रखी, सुनकर मैं तो भौचक रह गया. उसने जो कहा, वह इस तरह है-‘अन्याय की बुनियाद पर हो रहा है मंदिर का निर्माण. मैं इस मंदिर में कभी नहीं जाऊंगा. माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला विरोधाभास से भरा है. वह बहुसंख्यकों की ¨हंसात्मक प्रतिक्रिया के भय से दिया गया फैसला है क्योंकि देश के मौजूदा गृह मंत्री ने केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश संबंधी सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद लगभग धमकी भरे शब्दों में कहा था कि अदालतें ऐसे फैसले न दें जिन्हें लागू न किया जा सके. शहीद की गई बाबरी मस्जिद पर फैसला उसी धमकी का नतीजा है. मैं घर पर ही राम की अराधना करूंगा. इस मंदिर में कभी नहीं जाऊंगा क्योंकि भगवान राम ने अपने छोटे भाई से कहा था-‘निर्मल मन जन सो मोहे पावा, मोहि कपट छल क्षुद्र न भावा.’ अर्थात ‘निर्मल मन के लोग ही मुङो पसंद हैं. मुङो छलकपट और क्षुद्रता पसंद नहीं है.’ जो भगवान राम को पसंद नहीं है, भला मुङो वह कैसे पसंद हो सकता है.’
यह प्रतिक्रिया सुनकर मेरा पूरा शरीर रोमांचित हो गया. मैं उसका परिचय और फोटो लेने की सोच ही रहा था कि मेरे सहकर्मी पहुंच गए जो समय से लेट ही पहुंचते हैं और फिर जल्दी में रहते हैं, सीनियर हैं, उनके सम्मान के लिहाज से मैं उनकी बाइक पर सवार होकर ऑफिस के लिए रवाना गया.
-29 जुलाई 2020, बुधवार

सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति।

जय सियाराम !

धन्यवाद !

5 Aug 2020 08:09 PM

Jay siyaram

5 Aug 2020 02:11 PM

Bht sundar

5 Aug 2020 02:17 PM

Thank u dear sis

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