Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (6)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

चाहतों की कश्ती हो
समंदर का किनारा हो।
वो चाहत कि महफिल क्या
जहां इंतजार हमरा हो ।

बहुत खूब।

4 Aug 2020 11:58 PM

वो ना धड़कने सुनते हैं ना इशारे समझते हैं ।
वो बेवकूफ तो बस जुबाँ से कहीं बात समझते हैं ।।

बहुत उम्दा

5 Aug 2020 07:17 AM

लाजवाब! Thanks

5 Aug 2020 01:43 PM

Your welcome mam

Loading...