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प्रियंका जी, संस्कारों का क्षरण ही तो कष्ट दायी है, और कम पढ़े-लिखे ऐसा करें तो उनकी परिवेश को समझा जा सकता है, किन्तु उच्च शिक्षित लोग ऐसा करें तो दुःख होता है।
प्रियंका जी, संस्कारों का क्षरण ही तो कष्ट दायी है, और कम पढ़े-लिखे ऐसा करें तो उनकी परिवेश को समझा जा सकता है, किन्तु उच्च शिक्षित लोग ऐसा करें तो दुःख होता है।