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हीरे की कद्र पारखी ही जानता है। वरना आम आदमी उसे पत्थर ही मानता है।
श़ुक्रिया !
जी शुक्रिया
हीरे की कद्र पारखी ही जानता है।
वरना आम आदमी उसे पत्थर ही मानता है।
श़ुक्रिया !
जी शुक्रिया